Special Report: लॉकडाउन से बढ़ी अनचाही प्रेगनेंसी

Special Report: लॉकडाउन से बढ़ी अनचाही प्रेगनेंसी

नरजिस हुसैन

पूरे देश में मार्च से लेकर मई तक जिस तक लॉकडाउन हुआ उससे लोगों को बेसिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने में काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ा। यूं तो परेशानी सभी को कुछ-न-कुछ हुई लेकिन, औरतों को इस लॉकडाउन की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। इस दौरान जिस तरह से औरतों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों की अनदेखी हुई है उसका नुकसान फिलहाल तो औरतों को लेकिन, आगे चलकर पूरे देश को ही उठाना पड़ेगा ऐसा लगता है। हालांकि, लॉकडाउन खुलने के बाद ये सुविधाएं आसानी से लोगों को अब भी नही मिल पा रही हैं।

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इपास डेवलेपमेंट फांउडेशन (आईडीएफ) के एक ताजा अध्ययन में यह पाया गया कि लॉकडाउन से देश के करीब 18.5 लाख गर्भपात रुक गए हैं। ऐसा इसलिए कि गर्भपात कराने वाली औरतों को यह स्वास्थ्य सुविधा सरकारी, प्राइवेट या केमिस्ट किसी भी स्तर पर वक्त रहते नहीं मिल पाई। गर्भपात एक तय समय तक ही किसी भी औरत के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है अगर वह समयसीमा निकल गई तो औरत को न चाहते हुए भी बच्चे को जन्म देना पड़ता है। हालांकि, भारत ने 24 हफ्ते के गर्भपात को कानूनी रूप से मान्यता दी है। इस अध्ययन के मुताबिक पहले दो (25 मार्च- 03 मई, 20202) लॉकडाउन में करीब 59 फीसद औरते गर्भपात की सुविधाओं से महरूम रही। हालांकि, अनलॉक फेस के 24 दिनों में उम्मीद की जा रही है 33 प्रतिशत औरतों का गर्भपात हो सके।

लॉकडाउन की वजह से देश में 2.38 लाख औरतों में अतिरिक्त अनचाहे गर्भधारण की उम्मीद की जा रही है। आने वाले समय में 6,79,864 बच्चे जन्म लेगे, 14.5 लाख गर्भपात होगे जिनमें 8,34,042 असुरक्षित गर्भपात हो सकते है और 1,743 मातृत्व मृत्यु होगी। एक विशलेषण के बाद ऐसा कहना है फांउडेशन ऑफ रिप्रोडेक्टिव हेल्थ सर्विसेज, इंडिया नाम की संस्था का। देशभर में लॉकडाउन के चलते करीब 15-23 प्रतिशत लोगों को अस्पतालों या केमिस्ट पर कांट्रासेपटिव भी नहीं मिल रहे थे। पिछले दो महीनों में कोरोना ने एक महामारी का रूप ले लिया है और पूरे स्वास्थ्य तंत्र को सरकार ने सिर्फ कोरोना पर लगा दिया है। यह बात सही है कि कोरोना एक महामारी उसका सबसे पहले उसका इलाज करना जरूरी है लेकिन, क्या यह सही होगा कि हेल्थ की आपात सुविधाओं में कमी के चलते बाकी की बीमारियों को महामारी बनने के लिए छोड़ दिया जाए।

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कोरोना से होने वाले लॉकडाउन का एक बारी नुकसान यह भी हुआ कि देशभर में 6.9 लाख सटर्लाइजेशन सर्विसेज भी ठप्प हुई। 9.7 लाख इंट्रा-यूट्रीन डिवाइस या कॉपर टी भी औरतों के नहीं लगाई जा सकी वहीं 5.8 लाख कांट्रासेप्शन की इंजेक्शन के जरिए दी जाने वाली डोज भी प्रभावित हुई। ये आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय, सोशल मार्केटिंग स्टैटटिक्स और रिटेल ऑडिट डाटा के जरिए मिली। अनचाहे गर्भाधारण से बचने के लिए ली जाने वाली गोलियां भी 23.08 लाख औरतों को नहीं मिल पाई, 9.2 लाख ऐसी औरते भी है जिन्हे इर्मजेंसी पिल्स भी नहीं मिली और करीब 405.96 लाख कंडोम भी मार्केट में नहीं बिक पाए। 

देश में लॉकडाउन हो या महामारी सरकार को प्राइवेट स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ मिलकर स्वास्थ्य की आपात सेवाओं का इंतजाम कुछ इस तरह से करना होगा कि उससे औरतों की सेहत दांव पर न लगे। गर्भधारण और गर्भपात हर औरत का प्रजनन स्वास्थ्य का अधिकार है लेकिन, गर्भपात को समाज में अच्छा न मानना और इस दिशा में पारदर्शीं कानूनों की कमी के चलते इसका नकारात्मक असर औरत के न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है जिससे समाज को कोई लेना-देना नहीं होता। इस दिशा में जो कानून मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) ऐक्ट, 2020 है वह गर्भधारण के 20 हफ्ते तक गर्भपात का अधिकार देता है लेकिन, किन्हीं खास वजहों से औरतों की गर्भपात की आजादी 20-24 हफ्ते तक की भी तय की गई है। दरअसल, एक्सपर्टस का कहना है कि 20 हफ्ते के बाद ही गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी  होती है मसलन, वह शारिरीक या मानसिक तौर पर सेहतमंद है या नही, कहीं उसे कोई मानसिक विकार या उसके किसी भी अंग में कोई खराबी है या नहीं का पता चलता है।

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अब ऐसे में ये बच्चे अगर जन्म लेते हैं तो क्या पता इनमें कितने शारीरिक और मानसिक तौर पर सेहतमंद है। फिर इस बीच यह भी जानना जरूरी होगा कि जो औरतें गर्भपात के लिए झोलाछाप डॉक्टरों का रुख कर रही है वह उनकी आगे की सेहत के लिए कितना सुरक्षित है। क्या इससे मातृत्व मृत्यु दर बढ़ने का खतरा नहीं बढ़ेगा। पहले से ही जरूरत से ज्यादा आबादी का बोझ झेल रहे देश में अगर इतने अनचाहे बच्चे अगले साल की शुरूआत तक पैदा हो जाते है तो देश के विकास का चक्का बैठ जाएगा। क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना की वजह से पहले ही चरमरा चुकी है और उसे पूरी तरह से पटरी पा आने में अभी दो-तीन साल का लंबा वक्त लग सकता है।

 

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